यदि तिरस्कार अपनों से ही बार बार मिले तब शब्दों का विवाद उचित नहीं क्युकि जो इंसान आपके महत्व को नहीं समझ पाया वो आपके शब्दों और भावनाओ को क्या समझेगा।
यदि तिरस्कार अपनों से ही बार बार मिले तब शब्दों का विवाद उचित नहीं क्युकि जो इंसान आपके महत्व को नहीं समझ पाया वो आपके शब्दों और भावनाओ को क्या समझेगा।