माता-पिता का आदर करें तो वृद्धाश्रम खोलने की जरूरत नहीं- श्री राजोरा
सिंगोली। सिंगोली तहसील के ग्राम मुवादा में चल रही श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में भगवताचार्य पंडित राजेश राजोरा ने कहा कि माता-पिता धरती के भगवान है, माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। आज बच्चे माता-पिता का तिरस्कार कर मंदिर में जाकर भगवान ढूंढ रहे हैं और के घर के भगवान अर्थात माता-पिता का त्याग कर रहे हैं।
घर में माता-पिता रूपी भगवान का पूजा करें तो सब कुछ मिला जाएगा। लेकिन दुर्भाग्य है जिस धरती पर भगवान राम अवतरित हुए वहां आज वृद्धाश्रम खोलने की जरूरत पड़ गई है। जिस दिन लोग माता-पिता को आदर देंगे उस दिन वृद्धाश्रम खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। भारत की धरा संस्कार की धरा है। जहां पर शास्त्र सम्मत सोलह संस्कार वर्णित है। मगर आज के परिवेश में कुछ ही संस्कार बच गया है। इसका मुख्य कारण पाश्चात्य संस्कृति को जीवन में धारण करना है। पाश्चात्य संस्कृति सुरसा बनकर संस्कारों को ग्रास बना रही है। ऐसी संस्कृति को त्याग कर हम अपने भारतीय मूल संस्कृति को अपनाएं।
छोटे से ग्राम मुवादा के निवासी बाबूलाल धाकड़ ने अपनी पुत्री ऐश्वर्या धाकड़ के विवाह के उपलक्ष्य पर
आयोजित साथ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिवस पर
पंडित श्री राजोरा ने भगवान श्री कृष्ण सुदामा मित्रता व श्री कृष्ण के पूरे परिवार एवं राजा परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई
कथा के दौरान पंडित राजोरा ने अंत मे कृष्ण सुदामा की मित्रता पर वर्णन करते हुए बताया कि मित्रता को लाभ और हानि के तराजू पर नही तोलना चाहिए।भगवान श्री कृष्ण ओर सुदामा ने एक साथ सांदीपनि आश्रम उज्जैन में अध्यन किया । सुदामा अति गरीब ब्राह्मण थे जबकि श्री कृष्ण द्वारिका के शासक दोनो की मित्रता आज हमारे लिए प्रेरणादायक है ।
पंडित श्री राजोरा ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा मनुष्य को भय मुक्त करती है । मनुष्य जो कि सांसारिक मोह बंधनो से बंधा है । यदि वह श्रीमद भागवत कथा को मनोभाव से सुनता है तो उसके सभी मोह बन्धनों से मुक्ति मिलती है ।तथा वह भगवान हरि के चरणों मे स्थान पा लेता है । श्रीमद भागवत के सभी अक्षर जीवन मे नई प्रेरणा देते है ।
कथा के अंतिम दिन सात दिनों तक भागवत कथा के जरिये से ज्ञान गंगा प्रवाहित करने वाले कथावाचक पंडित राजेश राजोरा का भव्य स्वागत सत्कार किया । अपनी बेटी ऐश्वर्या के विवाह से पूर्व पिता बाबूलाल धाकड़ ने अपने ग्राम में भागवत कथा आयोजित करने का संकल्प लिया था ।
बेटी के पिता ने अपना संकल्प पूर्ण किया। इस अवसर पर आयोजक परिवार द्वारा पंडित राजेश राजोरा को दक्षिणा कपड़ा साल श्री फल भेट किया। कथा समापन के अवसर पर पूर्णावती हवन ओर महाप्रसादी (भोजन भंडारा) का भी आयोजन किया गया ।
रिपोर्ट : दिनेश जोशी