जबलपुर जिले में मेडिकल कॉलेज अस्पताल जिम्मेदारों की मनमानी और निकम्मी व्यवस्था से त्रस्त है। कहने को करोड़ों रुपए दवा, उपकरण, मेंटेनेंस और साफ-सफाई पर खर्च होते हैं, परंतु मरीजों को इसका लाभ बहुत मुश्किल से मिल पाता है। पिछले तीन दिन से मेडिकल अस्पताल की तीनों लिफ्ट बंद हैं और बुजुर्ग, बच्चों और मरीजों को रैम्प से पैदल चलकर वार्ड तक जाना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा पीड़ादायी प्रसंग यह है कि यहां पर भर्ती होने के लिए आने वाली गर्भवती महिलाएं जिन्हें या तो व्हील चेयर या फिर स्ट्रेचर के माध्यम से सावधानी पूर्वक वार्ड तक ले जाना चाहिए, उन्हें भी ये सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है। बंद लिफ्ट देखकर हताश-निराश गर्भवती महिलाएं रैम्प से पैदल चलकर वार्ड तक जाने के लिए मजबूर हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने डीन, मेडिकल कॉलेज, जबलपुर से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दो सप्ताह में मांगा है।
शहर : लिफ्ट बंद, रैम्प से वार्ड तक पैदल जाने मजबूर हैं गर्भवती महिलाएं
जबलपुर जिले में मेडिकल कॉलेज अस्पताल जिम्मेदारों की मनमानी और निकम्मी व्यवस्था से त्रस्त है। कहने को करोड़ों रुपए दवा, उपकरण, मेंटेनेंस और साफ-सफाई पर खर्च होते हैं, परंतु मरीजों को इसका लाभ बहुत मुश्किल से मिल पाता है। पिछले तीन दिन से मेडिकल अस्पताल की तीनों लिफ्ट बंद हैं और बुजुर्ग, बच्चों और मरीजों को रैम्प से पैदल चलकर वार्ड तक जाना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा पीड़ादायी प्रसंग यह है कि यहां पर भर्ती होने के लिए आने वाली गर्भवती महिलाएं जिन्हें या तो व्हील चेयर या फिर स्ट्रेचर के माध्यम से सावधानी पूर्वक वार्ड तक ले जाना चाहिए, उन्हें भी ये सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है। बंद लिफ्ट देखकर हताश-निराश गर्भवती महिलाएं रैम्प से पैदल चलकर वार्ड तक जाने के लिए मजबूर हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने डीन, मेडिकल कॉलेज, जबलपुर से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दो सप्ताह में मांगा है।