नीमच। शहर में पत्रकारिता के गुरु देवर्षि नारद जयंती महोत्सव पर विश्व संवाद केन्द्र द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन रविवार को स्वर्णकार धर्मशाला नीमच में किया गया। महोत्सव में देवर्षि नारद लोक चिंतन में सूचना संचार के प्रथम प्रणेता विषय पर परिचर्चा की गई। इस परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. पंडित मिथलेश नागर (राष्ट्रीय संत), मुस्तफ़ा हुसैन वरिष्ठ पत्रकार, जितेंद्र पुरोहित वरिष्ठ पत्रकार देवास, डॉ. संजय जोशी वरिष्ठ प्रोफेसर एवं जगदीश मालवीय जनसम्पर्क अधिकारी नीमच उपस्थित रहे। स्थानीय स्वर्णकार समाज भवन में आयोजित हुए महोत्सव की शुरुआत महर्षि नारद के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ की गई। इसके बाद विश्व संवाद केंद्र नीमच मप्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया। स्वागत सम्मान के बाद अतिथियों ने ने संबोधित किया।
इस दौरान जगदीश मालवीय जनसम्पर्क अधिकारी नीमच ने कहा की पत्रकार सच्ची जानकारी समाज और राष्ट्र हित में सामने लाएं। आज पत्रकार जिस तरह से जमीन स्तर पर जाकर रिपोर्टिंग करते है उसके बाद ही सच्चाई हमारे सामने आ पाती है। पत्रकार लोकतंत्र के सजग प्रहरी है जिनकी वजह से लोकतंत्र मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि पत्रकार अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखकर बिना किसी स्वार्थ के समाचार देते है उससे ही हमारा समाज जुड़ता है। देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह में पुरस्कार पाए पत्रकारों को बधाई देते हुए कहा कि सूचना क्रांति के इस युग में हमें खबरें ऐसे प्रस्तुत करनी चाहिए जिनका समाज पर बुरा प्रभाव न पड़े।
वरिष्ठ पत्रकार मुस्तफा हुसैन ने कहा कि देवर्षि नारद पत्रकारों के आराध्य है। वर्तमान संदर्भों की अगर बात करें तो इस तरह के कार्यक्रम कितने महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि आज की जो युवा पीढ़ी जो है वह हमारी समृद्ध सनातन परंपरा से पूरी तरह से वाकिफ नहीं है। ऐसे आयोजन हमारे समाज में प्राण फूंकने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि नारद जी ने 25 हजार श्लोक लिखे हैं। इनमें से करीब 2 हजार श्लोक ज्योतिष शास्त्र में है। लेकिन इस संबंध में हर किसी को जानकारी नहीं है, क्योंकि हम उनके बारे में पढ़ते नहीं है। हाल ही में भारत-पाक के बीच में हुए तनाव के दौरान भी पाकिस्तानी मीडिया ने भ्रामक खबरों का प्रसार किया था। उस दौरान भी भारतीय मीडिया ने उनको एक्सपोज कर सत्य खबर देशवासियों के सामने रखी।
डॉ. संजय जोशी वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा की नारद मुनि को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र माना जाता है. वे तीनों लोकों में विचरण करते हुए ज्ञान, भक्ति और धर्म का प्रचार करते थे. उनकी वीणा से निकली ध्वनि दिव्य संगीत का प्रतीक है. वे देवताओं, गंधर्वों और असुरों के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। देवर्षि नारद एक ऐसा महान व्यक्ति है, जिनका जीवन प्रेरणास्पद है। नारद जी लाइव रीपोर्टिंग करते थे वे दानवो, गंधर्व, देव सभी को समान रूप से सूचना देते है। चारों युग में नारद की प्रासंगिकता आज भी है। अगर आप नारद पुराण का अध्ययन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि नारद जी में अहंकार तनिक मात्र भी नहीं था। नारद जी के चरित्र से कही बातों को सीखा जा सकता है। लेकिन वर्तमान में नारद जी के जीवन को सही तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जा रहा है। आज उन्हें गॉसिप गार्ड के रूप में पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है।
जितेंद्र पुरोहित वरिष्ठ पत्रकार देवास ने कहा की आज पत्रकारों को देवर्षि नारद जी से सीखना चाहिए कि उन्होंने हर समस्या को कैसे संवाद के माध्यम से हल किया। उन्होंने कहा कि देवऋषि नारद जी ने हमें संवाद का ऐसा विकल्प दिया जिससे हर बड़ी समस्या का हल संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि नारद जी हमेशा किसी आधार और तथ्यों के साथ ही सूचना का आदान-प्रदान करते थे ताकि किसी सूचना का समाज पर गलत प्रभाव न पड़े। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को नारद जी की शैली से सीखना चाहिए कि किस शब्द को कब और कैसे प्रयोग करना है।
डॉ. पंडित मिथलेश नागर राष्ट्रीय संत ने कहा की ऋषि नारद को कौन नहीं जानता। इहलोक, देवलोक और असुरलोक….तीनों लोेकों में एक समान विचरने वाले भक्त-प्रवर नारद। नारायण के नाम की टेर लगाते जगह-जगह में जो चल रहा है, उसकी सुध लेते, इस लोक से उस लोक तक भ्रमणशील रहने वाले वीणा की तान छेड़ते नारद। संगीत के पंडित और विष्णु के परम भक्त नारद को आदि पत्रकार यूं ही नहीं कहा जाता। जहां जो गलत है, उसकी पूरी खबर ले समाज के चिंतनशील, सकारात्मक सोच वालों तक पहुंचाना ही तो पत्रकार का धर्म होता है। तो इस नाते पत्रकार की भूमिका अहम हो जाती है कि समाज से चीजों और नकारात्मकता के विरुद्ध संत-शक्ति को जगा कर सत्य की, धर्म की, सकारात्मकता की, सज्जनता की स्थापना करने में पत्रकारिता के योगदान की वजह से ही इसे लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाता है। देव ऋषि नारद लोक कल्याण के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। उनकी बातों में इतनी सच्चाई होती थी कि तत्काल उनकी बातों को मान लिया जाता था। उनकी बातों की सत्यता का परीक्षण नहीं किया जाता था। लेकिन आज की पत्रकारिता में खेमेबाजी है। पत्रकार भले ही देश को बदल नहीं सकते, लेकिन सत्य पर चलकर बदलाव का प्रयास जरूर कर सकते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पत्रकारगण मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सत्येंद्र राठौड़ ने किया।