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  • धर्म : ग्राम मुवादा में श्री राजोरा के मुखारबिंद से बह रही धर्म गंगा.....कृष्ण बाललीला,कंस व पूतनावध एवं कृष्ण रुक्मिणी विवाह का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु

    SSE NEWS NETWORK   - नीमच
    धर्म
    धर्म   - नीमच[01-05-2025]
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  • भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा कहते है-भगवताचार्य पंडित श्री राजोरा


    सिंगोली। नीमच जिले की सिंगोली तहसील के ग्राम मुवादा में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत पुराण कथा में पांचवे दिन श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। कथा वाचक पंडित राजेश जी राजोरा ने
      कहा कि भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा कहते है। 
    भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है। इसके श्रवण करने से मनुष्य अमृत हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है, जिसे पढ़ सकते हैं और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं।

     " श्री कृष्ण की बाल लीलाओं व पूतना चरित्र का वर्णन"

    पंडित श्री राजोरा जी ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महान कथा वाचक पंडित श्री राजोरा ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोब, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है।

     " कंश वध और कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का वर्णन"

     कंस वध व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का विस्तार से वर्णन करते हुए कथा वाचक श्री राजोरा जी ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था।

    कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा।
     11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।

    पंडित श्री राजोरा जी बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी। लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था, जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे।

    रिपोर्ट : दिनेश जोशी 







  • धर्म : ग्राम मुवादा में श्री राजोरा के मुखारबिंद से बह रही धर्म गंगा.....कृष्ण बाललीला,कंस व पूतनावध एवं कृष्ण रुक्मिणी विवाह का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु

    SSE NEWS NETWORK   - नीमच
    धर्म
    धर्म   - नीमच[01-05-2025]
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    भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा कहते है-भगवताचार्य पंडित श्री राजोरा


    सिंगोली। नीमच जिले की सिंगोली तहसील के ग्राम मुवादा में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत पुराण कथा में पांचवे दिन श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। कथा वाचक पंडित राजेश जी राजोरा ने
      कहा कि भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा कहते है। 
    भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है। इसके श्रवण करने से मनुष्य अमृत हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है, जिसे पढ़ सकते हैं और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं।

     " श्री कृष्ण की बाल लीलाओं व पूतना चरित्र का वर्णन"

    पंडित श्री राजोरा जी ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महान कथा वाचक पंडित श्री राजोरा ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोब, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है।

     " कंश वध और कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का वर्णन"

     कंस वध व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का विस्तार से वर्णन करते हुए कथा वाचक श्री राजोरा जी ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था।

    कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा।
     11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।

    पंडित श्री राजोरा जी बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी। लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था, जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे।

    रिपोर्ट : दिनेश जोशी 





  • धर्म: पंचमुखी बालाजी मंदिर पर शिखर कलश स्थापना और भंडारे का होगा भव्य आयोजन

    धर्म:
    धर्म   - नीमच[03-05-2025]
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  • धर्म: पंचमुखी बालाजी मंदिर पर शिखर कलश स्थापना और भंडारे का होगा भव्य आयोजन

    पंचमुखी बालाजी मंदिर पर शिखर कलश स्थापना और भंडारे का होगा भव्य आयोजन
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  • धर्म: कलयुग में चल रहा, काली कलकत्ते वाली का कंकाली खेल!

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  • धर्म: कलयुग में चल रहा, काली कलकत्ते वाली का कंकाली खेल!

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  • भगवान कृष्ण का जन्म अधर्म का नाश ओर धर्म की स्थापना के लिये हुआ था : भगवताचार्य पंडित श्री राजोरा

    भगवान कृष्ण का जन्म अधर्म का नाश ओर धर्म की स्थापना के लिये हुआ था :
    धर्म   - नीमच[30-04-2025]
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     भगवताचार्य पंडित श्री राजोरा
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  • धर्म: अक्षय तृतीया (आखातीज) कल बुधवार को

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    धर्म   - नीमच[29-04-2025]
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  • धर्म: जलेश्वर महादेव हरवार में लगेगा मेला

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    धर्म   - नीमच[26-04-2025]
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  • धर्म: श्री गुर्जरखेड़ा धाम जावी में पाती विसर्जन के बाद हुई छमाही भविष्यवाणी....

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    धर्म   - नीमच[21-04-2025]
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  • धर्म: श्री गुर्जरखेड़ा धाम जावी में पाती विसर्जन के बाद हुई छमाही भविष्यवाणी....

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  • धर्म: श्री गुर्जरखेड़ा धाम जावी में छमाही भविष्यवाणी 20 अप्रैल, रविवार को....

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    धर्म   - नीमच[16-04-2025]
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  • धर्म: श्री गुर्जरखेड़ा धाम जावी में छमाही भविष्यवाणी 20 अप्रैल, रविवार को....

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  • धर्म: मोइनुद्दीन सरकार उर्स के मौके पर सूफियाना कव्वाली पेश की.....जायरिनों ने पहुंचकर लंगर आयोजन में भाग लिया ।

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    धर्म   - नीमच[12-04-2025]
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  • धर्म: मोइनुद्दीन सरकार उर्स के मौके पर सूफियाना कव्वाली पेश की.....जायरिनों ने पहुंचकर लंगर आयोजन में भाग लिया ।

    मोइनुद्दीन सरकार उर्स के मौके पर सूफियाना कव्वाली पेश की.....जायरिनों ने पहुंचकर लंगर आयोजन में भाग लिया ।
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  • धर्म: मल्हारगढ़ कृषि उपज मंडी में श्री कण कण पंचमुखी बालाजी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव

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    धर्म   - मंदसौर[11-04-2025]
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  • धर्म: मल्हारगढ़ कृषि उपज मंडी में श्री कण कण पंचमुखी बालाजी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव

    मल्हारगढ़ कृषि उपज मंडी में श्री कण कण पंचमुखी बालाजी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
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  • धर्म: त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की स्वरलहरियो से गूंजा जीरन नगर

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    त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की स्वरलहरियो से गूंजा जीरन नगर
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  • धर्म: शंकर लख्खा के भजनों की सरिता में आधी रात तक डूबकियां लगाते रहे हजारों श्रद्धालु

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    धर्म   - नीमच[06-04-2025]
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  • धर्म: ऐतिहासिक श्री गुर्जरखेड़ा धाम जावी में चैत्र नवरात्रि का हवन व कन्या पूजन 7 अप्रैल सोमवार को और छमाही भविष्यवाणी 20 अप्रैल, रविवार को.....

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  • धर्म: आरोग्‍य तीर्थ के रूप में सुप्रसिद्ध मोड़ी माता जी का मंदिर मां के दरबार में मिलती है असाध्‍य रोगों से जल्‍दी ही मुक्ति

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  • धर्म: बरूखेडा में नवग्रह शनि मंदिर का स्थापना दिवस 3 को मनेगा, होंगे विभिन्न आयोजन

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    धर्म   - नीमच[01-03-2025]
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  • धर्म: बरूखेडा में नवग्रह शनि मंदिर का स्थापना दिवस 3 को मनेगा, होंगे विभिन्न आयोजन

    बरूखेडा में नवग्रह शनि मंदिर का स्थापना दिवस 3 को मनेगा, होंगे विभिन्न आयोजन
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