विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु अपनी अनुत्तीर्ण की अंकसूची में कूटरचना कर अंको में फेरबदल करने वाले आरोपी को कारावास।

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Hemant Gupta (Neemuch) 06-05-2024 Regional

नीमच। श्रीमती पुष्पा तिलगांम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, नीमच ने विश्व विद्यालय की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु अपनी अनुत्तीर्ण की अंकसूची में कूटरचना कर अंको में फेरबदल करने वाले आरोपी कन्हैयालाल पिता देवीलाल धाकड़, निवासी-ग्राम उमर, रतनगढ़, जिला नीमच को धारा 420, 467, 471/472 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 03-03 वर्ष के सश्रम कारावास व 3000-3000रू. अर्थदण्ड एवं धारा 120बी भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 02 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000रू. अर्थदण्ड से इस प्रकार कुल 10000रू. के अर्थदण्ड से दण्डित किया ।

प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले एडीपीओं श्री पारस मित्तल द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की वर्ष 1997 की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने के संबंध में अभियुक्त ने उनके विश्वविद्यालय की अंकसूची में अंको में वृद्धि कर आगामी परीक्षा (कक्षा) में सम्मिलित होने हेतु संबंधित महाविद्यालय के माध्यम से आवेदन पत्र अंकसूची की फोटो प्रति संलग्न कर प्रस्तुत किये। आवेदनपत्रों के साथ संलग्न अंकसूचियों को जब विश्वविद्यालय के रिकार्ड से मिलान किया गया तो पाया गया कि परीक्षार्थी की अंकसूची में अंको में वृद्धि करने के फलस्वरूप परीक्षा आवेदनपत्र निरस्त किये गये। इस प्रकार आरोपी ने गलत अंकसूची के आधार पर विश्वविद्यालय की परीक्षा में सम्मिलित होने का प्रयास किया। उक्त घटना का लिखित शिकायत आवेदन पत्र विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुल सचिव ने तत्कालीन थाना प्रभारी, नीमच जिला मंदसौर को दिया जिसके आधार पर थाना नीमच के अपराध क्रं. 378/1997 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध पंजीबद्ध किया गया, जिसके पश्चात् साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये। 

प्रकरण में कुल 27 आरोपी थे, जिनमें से 01 आरोपी की मृत्यु हो चुकी थी और अन्य 26 आरोपी में से 24 आरोपी के विरूद्ध पूर्व में विचारण होकर निर्णय पारित किया गया था, आरोपी कन्हैयालाल फरार था, जिसका विचारण किया जाकर न्यायालय ने यह पाया कि आरोपी ने आपराधिक उद्देश्य से मूल अंकसूची के अंको में अवैध साधनों सदोष लाभ प्राप्ति हेतु सारवान रूप से परिवर्तन कर आपराधिक षडयंत्र किया तथा जानबुझकर बेईमानीपूर्वक आशय से यह जानते हुए की अंकसूची के अंको में परिवर्तन कर उक्त अंकसूची को असल के रूप में प्रयोग कर प्रवंचना कर छल किया तथा अंक सूची के अंको में विक्रम विश्व विद्यालय की वर्ष 1997 की मुख्य परीक्षा में शमिल होने के लिए अंकों में परिवर्तन कर वृद्धि कर कूटरचना की तथा यह जानते हुए कि अभियुक्त के द्वारा प्रस्तुत अंकसूची के अंको में परिवर्तन अथवा वृद्धि की गई हैं असत्य एवं फर्जी अंकसूची को असल के रूप में मूल्यवान संपत्ति में रूप में सदोष लाभ प्राप्ति हेतु उपयोग किया, जिसका विश्व विद्यालय के रिकॉर्ड से मिलान किया गया तो पाया की परीक्षार्थी की अंकसूची में अंको की वृद्धि हैं व उसे उत्तीर्ण दर्शाया गया हैं।

अभियोजन की ओर से न्यायालय में आवश्यक साक्ष्य एवं दस्तावेज प्रस्तुत कर अपराध को प्रमाणित कराते हुवे आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया, जिस पर से माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को धारा 420, 467, 471/472 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 03-03 वर्ष के सश्रम कारावास व 3000-3000रू. अर्थदण्ड एवं धारा 120बी भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 02 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000रू. अर्थदण्ड से इस प्रकार कुल 10000रू. के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री पारस मित्तल, एडीपीओ द्वारा की गई।



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