धरती एवं पाताल लोक में भद्रा काल का साया होने के कारण दो दिन होगी शीतला सप्तमी पूजन...

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Hemant Gupta (Neemuch) 31-03-2024 Devotional

पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ महिलाओं ने शीतला माता को बासी भोजन (ढोकला) का लगाया भोग, की पूजा....

 चीताखेडा । शीतला सप्तमी का पर्व  के अवसर पर होलिका दहन से सप्तमी तक प्रतिदिन सुबह महिलाएं, युवतियों द्वारा होलिका दहन स्थलों और शीतला माता मंदिर पर मां शीतला की प्रतिमा पर जल चढ़ाकर ठंडा किया गया,यह क्रम सप्तमी तक चला। बड़े बुजुर्गो  के अनुसार हिन्दु परिवार के घरों में सप्तमी तक सुई  धागा से किसी प्रकार की सिलाई आदि कार्य नहीं किया जाता है। क्योंकि सिलाई करने से माताजी क्रोधित हो जाती है और किसी प्रकार से हानि होने की बात कही जाती है।
           शीतला सप्तमी के  दिन देवी को भोग लगाने के लिए बासी भोजन का भोग (बासोडा) उपयोग में लिया जाता है। धरती एवं पाताल लोक में भद्रा काल का साया होने के कारण सिलता सप्तमी व्रत कर पूजा अर्चना दो दिन तक करेंगी। कुछ महिलाओं ने आज मनाया तो कुछ कल मनाएगी सिलता सप्तमी। महिलाओं द्वारा रविवार को सिलता सप्तमी व्रत कर पूजा अर्चना की और यही पूजा अर्चना कल सोमवार को भी करेगी। इस दिन व्रत उपवास कर महिलाओं ने माता की कथा का श्रवण किया। मां के व्रत करने से देवी प्रसन्न होती हैं और व्रती के कुछ परिवारों में समस्त शीतला माता जनित  दोष दूर करतीं हैं,ज्वार, चेचक,नेत्रविकार आदि रोग दूर करतीं हैं। शीतला सप्तमी के एक दिन पूर्व  शनिवार की रात्रि को मिला महिलाओं द्वारा झुंड के झुंड गली, मौहल्लों से माता रानी को मेहंदी लगाई गई। शीतला सप्तमी के दिन रविवार को अल सुबह 4बजे से पूर्व ही शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना हेतु बड़ी संख्या में झुंड  के झुंड पहुंचने लगी जो दोपहर तक पूजा अर्चना का क्रम जारी रहा। महिलाओं द्वारा मेंहदी, कुमकुम,अक्षत, पुष्प, अगरबत्ती, ढोकले (बासोडा)लच्छा,दही आदि पुजन सामग्री से माता की पूजा कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की है। मां की पूजा अर्चना के बाद व्रती महिलाओं ने अपने घर के बाहर द्वार पर मेहंदी एवं कुम कुम से स्वास्तिक बनाकर परिवार की  असाध्य बिमारी से बचने के लिए एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। घर में बड़े बुजुर्गो के चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लिया। अपने घर दरवाजे के अगल बगल में मेहंदी और कुमकुम से स्वास्तिक चिन्ह आकृति बनाई गई।


रिपोर्ट : दशरथ माली

प्रादेशिक