सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को सही ठहाराया

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Public Reporter (Delhi) 11-12-2023 International

अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम बिल, लोकसभा से हो चुका है पारित


नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम बिल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया। इससे पहले लोकसभा में इस बिल को पारित किया जा चुका है। वहीं जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है।

संसद के शीतकालीन सत्र का आज छठा दिन है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बाबत राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम बिल को पेश किया।

बता दें कि लोकसभा में यह बिल पहले ही पारित हो चुका है। अमित शाह ने इस बिच को विचार और पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश किया। बता दें कि पिछले सप्ताह जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में पारित किया जा चुका है। लोकसभा में जम्मू कश्मीर पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के हमलों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा था कि कश्मीर में 45 हजार लोगों की मौत का जिम्मेदार अनुच्छेद 370 था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उखाड़ फेंका।


अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

वहीं सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने आज सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जाने केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को सही ठहाराया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बाबत फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल 370 (3) की शक्तियों के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था। इस पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। 


कोर्ट ने कही ये बात
अनुच्छेद 370 के मामले पर सुनवाई के दौरान अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए। साथ ही राज्य का दर्जा वापस देने का भी निर्देश दिया है। बता दें कि इस सुनवाई के दौरान तीन अहम फैसले लिए गए। अलग-अलग न्यायाधीशों द्वारा तीनों अलग-अलग फैसले दिए गए जिसका निष्कर्ष एक ही था। कोर्ट ने कहा कि केंद्र, राष्ट्रपति की भूमिका के तहत सरकार की शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है। कोर्ट ने इस बाबत याचिकाकर्ताओं की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि संसद या राष्ट्रपति उद्घोषणा के तहत किसी भी राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। 

C.P जनहित में प्रकाशित

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