SI पूजा सोलंकी के साहस की कहानी, SI बनी महिलाओं की प्रेरणा, महिला दिवस की स्पेशल स्टोरी।
SSE NEWS NETWORK (Neemuch) 09-03-2023 Life Style
आगर मालवा। सही कहा जाता है कि हौंसले हो तो सब मुश्किलों से निपटा जा सकता है। बुलंद होंसलों की ऐसी ही कहानी आगर मालवा जिले में पदस्थ महिला एसआई की है। जो कुछ समय पहले तक तो घर का चौका चूल्हा संभालती थी, लेकिन एक हादसे ने उनका पूरा जीवन ही बदल दिया। आगर मालवा जिले के महिला थाने में SI (उपनिरीक्षक) के पद पर पदस्थ पुजा सोलंकी के पति हर्षवर्धन सिंह सोलंकी बालाघाट के लांजी थाने में SI थे। उनकी ड्यूटी 13 जनवरी 2019 को विधानसभा अध्यक्ष के फॉलो व्हीकल में लगी थी। तभी एक ट्रक ने उनके वाहन को टक्कर मार दी। पति के साथ अन्य तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए। पूजा MBA पास गृहिणी थीं, लेकिन कभी नौकरी का सोचा नहीं था। सरकार ने केस को विशेष मानते हुए अनुकंपा नियुक्ति के तहत पति के स्थान पर पूजा को SI बना दिया। इसमे पिता से लेकर ससुराल तक पूरे परिवार का भी पूरा पूरा साथ मिला। प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी होने में 11 महीने लगे, यह समय पूजा ने घर पर घूंघट में बिताया। इसके बाद भोपाल की भौंरी पुलिस अकादमी में 13 महीने की टफ ट्रेनिंग ली। फिर आगर कोतवाली में si के रूप में पदस्थ रही और अब आगर मालवा जिले में ही महिला थाना में सब इंस्पेक्टर के रूप में पदस्थ होकर ड्यूटी कर रही है। पूजा कहती हैं कि मैंने कभी पटाखे भी नहीं फोड़े थे, लेकिन आज AK-47, कार्बाइन समेत 9 हथियार चलाना जानती हूं।
"पूजा सोलंकी की जुबानी"
पूजा बताती है कि हादसे के वक्त उनकी गोद में डेढ़ साल का बेटा और साढ़े तीन साल की बेटी थी। अनुकंपा नियुक्ति मिली तो लगा कि पुलिस की ड्यूटी मैं कैसे कर पाऊंगी। परेशानियों के बारे में पूजा बताती है कि परिवार में घूंघट प्रथा है। जबकि मेरे साथ ज्यादातर ऐसे ट्रेनीज थे, जो पहले से SI की तैयारी कर रहे थे। मुझे कोई विशेष छूट मिलना मुमकिन नहीं था। मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। इसमें सबसे मुश्किल था दौड़ना और दीवार फांदना। इसके बाद भी मैंने अच्छी रेटिंग के साथ ट्रेनिंग पूरी की जीवन मे आए बड़े बदलाव के बावजूद पुजा आज भी अपने पति की तस्वीर को नमन करना और खाली समय मिलने पर अपने छोटे छोटे दोनो बच्चो को समय देना नहीं भूलती है। ड्यूटी के बाद बचे खाली समय को वे अपने बच्चो के साथ खेलकर, उन्हें पढ़ाकर व्यतीत करती है। बच्चो को ज्यादा समय दे सके इसलिए पूजा जल्दी उठकर घर का सारा काम निपटा लेती है। पुजा अपने बच्चो को आईएएस ओर आईपीएस बनाना चाहती है। साथ ही वे चाहती है कि उनके जैसी मुसीबत किसी महिला पर आती तो उसका पूरा पूरा सपोर्ट करें, क्योंकि विधवा महिलाओं के लिए उनके पति का चला जाना सबसे मुश्किल भरा समय होता है।
रिपोर्ट : रामेश्वर नागदा