~~मन की चिंगारी~~मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं मेरा बेटी होना….?

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SSE NEWS NETWORK (Neemuch) 14-02-2023 Life Style

धधकती चिंगारी रूप लेती हैं एक विद्रोह का
मेरे मन में उठते बवंडर को शांत होना हैं
ये धधकती आग चिंगारी छोड़ देती हैं मन में
आखिर कब होना होगा मुझे स्वतंत्र 
जब मैं भी जी पाऊंगी खुल कर जीवन को
चहकती ,मुस्कुराती कब तक रह पाऊंगी 

मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं
मेरा बेटी होना….?
जीवन रूपी अद्भुत संगीत की स्वरलहरियों में
कब रूप लेंगी ये मेरे जीवन संगीत का
मैं जीवनदायिनी,सृजना, कब तक प्रतीक्षारत
मैं भी बेखोफ जी सकूंगी अपनी छोटी सी जिंदगी
आखिर क्यों प्रतिपल खोफ साथ चलता हैं मेरे
अनुभूतियों का स्मरण कर मन द्रवित ही जाता हैं

मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं
मेरा बेटी होना….?
मैं स्वयं ही जलती हूँ धधकती हूँ प्रतिदिन 
अंतर्दाह होता हैं मेरी चेतना में मेरा
मानो अभिशिप्त जीवन मिला हो मुझे
बेटी रूप देकर अभिशापित किया पालनहार ने
मेरी संवेदना मानो अस्तित्व ही नही रखती हैं
पुरुष को पूर्ण बनाने वाली कैसे मैं अपूर्ण हूँ

मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं
मेरा बेटी होना….?
अनवरत चल रही मैं वैसे ही जैसे चलाया पुरुष ने
आखिर क्या नही कर सकती हूँ मैं ..?
मैं स्वयं में समेटे बहुत से प्रश्न लिए आज भी
न जाने आखिर कब होगा मेरे जीवन का उदय
कब होगी मेरी भी अपनी पहचान
क्यो निरीह कर छोड़ दिया गया मुझे

मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं
मेरा बेटी होना….?

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)


रामेश्वर नागदा